एकमुखी
रुद्राक्ष भगवान शिव, द्विमुखी श्री गौरी-शंकर, त्रिमुखी तेजोमय अग्नि,
चतुर्थमुखी श्री पंचदेव, षष्ठमुखी भगवान कार्तिकेय, सप्तमुखी प्रभु अनंत,
अष्टमुखी भगवान श्री गेणश, नवममुखी भगवती देवी दुर्गा, दसमुखी श्री हरि
विष्णु, तेरहमुखी श्री इंद्र तथा चौदहमुखी स्वयं हनुमानजी का रूप माना जाता
है। इसके अलावा श्री गणेश व गौरी-शंकर नाम के रुद्राक्ष भी होते हैं।
- एकमुखी रुद्राक्ष
ऐसा रुद्राक्ष जिसमें एक ही आँख अथवा बिंदी हो। स्वयं शिव का स्वरूप है जो सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करता है।
- द्विमुखी रुद्राक्ष
सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज प्रदान करता है।
- त्रिमुखी रुद्राक्ष
ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होता है।
- चतुर्थमुखी रुद्राक्ष
धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है।
- पंचमुखी रुद्राक्ष
सुख प्रदान करने वाला।
- षष्ठमुखी रुद्राक्ष
पापों से मुक्ति एवं संतान देने वाला होता होता है।
- सप्तमुखी रुद्राक्ष
दरिद्रता को दूर करने वाला होता है।
- अष्टमुखी रुद्राक्ष
आयु एवं सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है।
- नवममुखी रुद्राक्ष
मृत्यु के डर से मुक्त करने वाला होता है।
- दसमुखी रुद्राक्ष
शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है।
- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
विजय दिलाने वाला, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाला होता है।
- बारह मुखी रुद्राक्ष
धन प्राप्ति कराता है।
- तरेह मुखी रुद्राक्ष
शुभ व लाभ प्रदान कराने वाला होता है।
- चौदह मुखी रुद्राक्ष
संपूर्ण पापों को नष्ट करने वाला होता है।
रुद्राक्ष के लाभ
कभी कभी बहुत आम समस्याओं के हल बहुत आसानी से मिल जाते हैं। अभी तक मैंने
जितनी भी चर्चा की वे समस्याओं को इंगित करती थी। अक्सर ज्योतिषी समस्याओं
के समाधान की चर्चा करने से कतराते हैं। हर कोई चाहता है कि उसका
ज्ञान-भंडार चोरी न हो जाए, कोई दूसरा न ले जाए। खैर वह समस्या उनकी है वे
जाने। हम चर्चा कर रहे थे समाधान की। यदि सर्व-सामान्य समस्याएँ देखें तो
वे हैं –
- सदैव अनिश्चितता महसूस करना
- मन का बरबस उचाट हो जाना
- मानसिक दबाव (डिप्रेशन) का शिकार रहन
- एकाग्रता की कमी होना – बच्चे या बडे दोनों
इन समस्याओं में किसी से आपका कोई भी जानकार ग्रसित हो तो, इच्छा ईश्वर की, 5 मुखी रुद्राक्ष पहनने से लाभ होता है।
5
मुखी रुद्राक्ष सबसे आम, आसानी से मिलने वाला व सभी रुद्राक्षों में सबसे
सस्ता है। कीमत किसी भी नग की गुणवत्ता का मापदण्ड नहीं है। यह जानकारी
सिर्फ आपके लाभार्थ है।
धारण
करने हेतु रुद्राक्ष को काले धागे मे पिरो लें या चाँदी की तार पिरो कर
लॉकेट बनवा लें। सोने की तार में पिरोए जाने की सिफारिश नहीं है। इसे गले
में अपने दिल के सामने लटकता हुआ पहनें। ध्यान रहे कि वह पहने वाले की
त्वचा को जरूर छुए।
आशा
करता हूँ कि यह जानकारी लाभकारी होगी। आने वाले दिनों में कुछ और उपायों
की चर्चा करूँगा। आपके सुझाव व विचार सदा ही लाभकारी होते हैं। सहयोग देते
रहें।
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