Thursday, 27 June 2013

Shiva Dvadasha Jyotirlinga Stotram


                        Shiva Dvadasha Jyotirlinga Stotram
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् |
उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम् ||1||

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम् |
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ||||

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्रयम्बकं गौतमीतटे |
हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये ||||

एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायंप्रातः पठेन्नरः |
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ||4||

भगवान शंकर  के  इस 12 (द्वादश) ज्योतिर्लिंगों  का  स्मरण प्रत्येक दिन जो कोई भी सांय अर्थात संध्या के  समय  व प्रात निष्काम भाव से करता  है,  उसके  सात जन्म तक  किये हुए पापों का का विनाश भी इस स्त्रोत्र का स्मरण करते ही ही हो जाता है । और उस भक्त के सब पाप नष्ट होकर उसको सर्व सिद्धि को प्राप्त होती है ।

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