Tuesday, 5 May 2015

भगवान शिव की इला नामक कला ही नर्मदा है


भगवान शिव की इला नामक कला ही नर्मदा है।


स्कंद पुराण में कहा गया है कि


गंगा कनखले पुण्या कुरुक्षेत्रे सरस्वती।

ग्रामे वा यदि वाऽरण्ये पुण्या सर्वत्र नर्मदा॥


यानी गंगा कनखल (हरिद्वार) में पुण्य देने वाली है। पश्चिम में सरस्वती पुण्यदा है। दक्षिण में गोदावरी पुण्यवती है और नर्मदा सब स्थानों में पुण्यवती और पूजनीय है।


नर्मदा में पा‌ए जाने वाले पत्थर-कंकर का भी भक्तगण शंकर के रूप में ले जाकर श्रद्धा के साथ पूजन-अभिषेक करते हैं, इसीलि‌ए तो शास्त्रों में कहा गया है कि नर्मदा के जितने कंकर, उतने सब शंकर। नर्मदाजी के पूजन-अभिषेक के साथ-साथ इसकी प्रदक्षिणा भी अपना विशेष महत्व रखती है।


स्कंद पुराण में कहा गया है कित्रिभिः सारस्वतं पुण्यं समाहेन तु यामुनम्‌। साद्यः पुनाति गांगेयं दर्शनादेव नर्मदा॥यानी संसार में सरस्वती का जल 3 दिन में, यमुना का जल 7 दिन में तथा गंगा मात्र स्नान से जीव को पवित्र कर देती है, किंतु नर्मदा जल के दर्शन मात्र से जीव सभी पापों से मुक्त हो जाता है। पतित पावनी माँ नर्मदा की महिमा अनंत है। पुण्यसलिला माँ नर्मदा, माता गंगा से भी प्राचीन है।


पुराणों में नर्मदा को शंकर जी की पुत्री कहा गया है, इसका प्रत्येक कंकर शंकर माना जाता है।


आदि सतयुग में शिवजी समस्त प्राणियों से अदृश्य होकर 10 हजार वर्षों तक ऋष्य पर्वत विंध्याचल पर तपस्या करते रहे। उसी समय शिव-पार्वती परिहास से उत्पन्न पसीने की बूँदों से एक परम सुंदरी कन्या उत्पन्न हो ग‌ई। उस कन्या ने सतयुग में 10 हजार वर्ष तक भगवान शंकर का तप किया। भगवान शंकर ने तपस्या से प्रसन्न होकर कन्या को दर्शन देकर वर माँगने हेतु कहा। कन्या (श्री नर्मदाजी) ने हाथ जोड़कर भगवान शंकर से वर माँगते हु‌ए कहा- मैं प्रलयकाल में भी अक्षय बनी रहूँ तथा मुझमें स्नान करने से सभी श्रद्धालु पापों से मुक्त हो जा‌एँ।


मैं संसार में दक्षिणगंगा के नाम से देवता‌ओं से पूजित हो‌ऊँ। पृथ्वी के सभी तीर्थों के स्नान का जो फल होता है वह भक्तिपूर्वक मेरे दर्शनमात्र से हो जा‌ए। ब्रह्महत्या जैसे पापी भी मुझमें स्नान करने से पापमुक्त हो जा‌एँ।भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर कहा-हे कल्याणी पुत्री! जैसा वरदान तूने माँगा है, वैसा ही होगा और सभी देवता‌ओं सहित मैं भी तुम्हारे तट पर निवास करूँगा।


भगवान शिव की इला नामक कला ही नर्मदा है।


भारतवर्ष में केवल नर्मदा की ही प्रदक्षिणा की जाती है।


नर्मदा मध्य भारत के मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। अमृतमयी पुण्य सलिला नर्मदा की गणना देश की प्रमुख नदियों में की जाती है। पवित्रता में इसका स्थान गंगा के तुरन्त बाद है कहा जो यह जाता है कि गंगा में स्नान करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वह नर्मदा के दर्शन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है।


ॐ रुद्रतनया नर्मदे, शतशः समर्पित वन्दना।


हे देव वन्दित, धरा-मंडित , भू तरंगित वन्दना॥