Monday, 24 February 2014

महाशिवरात्रि पूजाविधि

 

शिवपुराणके अनुसार व्रती पुरुषको महाशिवरात्रि के दिन प्रातःकाल उठकर स्न्नान-संध्या आदि कर्मसे निवृत्त होनेपर मस्तकपर भस्मका त्रिपुण्ड्र तिलक और गलेमें रुद्राक्षमाला धारण कर शिवालयमें जाकर शिवलिंगका विधिपूर्वक पूजन एवं शिवको नमस्कार करना चाहिये। तत्पश्चात्‌ उसे श्रद्धापूर्वक महाशिवरात्रि व्रतका इस प्रकार संकल्प करना चाहिये-

शिवरात्रिव्रतं ह्यतत्‌ करिष्येऽहं महाफलम्‌।

निर्विघ्नमस्तु मे चात्र त्वत्प्रसादाज्जगत्पते॥


महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में संकल्प करके दूध से स्नान तथा `ओम हीं ईशानाय नम:का जाप करें। द्वितीय प्रहर में दधि स्नान करके `ओम हीं अधोराय नम: का जाप करें। तृतीय प्रहर में घृत स्नान एवं मंत्र `ओम हीं वामदेवाय नम: तथा चतुर्थ प्रहर में मधु स्नान एवं `ओम हीं सद्योजाताय नम: मंत्र का जाप करें।

महाशिवरात्रि मंत्र एवं समर्पण

सम्पूर्ण महाशिवरात्रि पूजा विधि के दौरान ओम नम: शिवाय एवं शिवाय नम: मंत्र का जाप करना चाहि‌ए। ध्यान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, पय: स्नान, दधि स्नान, घृत स्नान, गंधोदक स्नान, शर्करा स्नान, पंचामृत स्नान, गंधोदक स्नान, शुद्धोदक स्नान, अभिषेक, वस्त्र, यज्ञोपवीत, उवपसत्र, बिल्व पत्र, नाना परिमल दव्य, धूप दीप नैवेद्य करोद्वर्तन (चंदन का लेप) ऋतुफल, तांबूल-पुंगीफल, दक्षिणा उपर्युक्त उपचार कर समर्पयामिकहकर पूजा संपन्न करें। कपूर आदि से आरती पूर्ण कर प्रदक्षिणा, पुष्पांजलि, शाष्टांग प्रणाम कर महाशिवरात्रि पूजन कर्म शिवार्पण करें।

महाशिवरात्रि व्रत प्राप्त काल से चतुर्दशी तिथि रहते रात्रि पर्यन्त करना चाहि‌ए। रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से जागरण, पूजा और उपवास तीनों पुण्य कर्मों का एक साथ पालन हो जाता है और भगवान शिव की विशेष अनुकम्पा और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

Wednesday, 12 February 2014

विशवभंरी स्तोत्रं


विश्वंभरी अखिल विश्व तनी जनेता
विद्या धरी वदनमा वसजो विधाता
दुर्बुद्धिने दूर करी सदबुद्धि आपो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

भूलो पड़ी भवरने भटकू भवानी
सूझे नहीं लगिर कोई दिशा जवानी
भासे भयंकर वाली मन ना उतापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

आ रंकने उगरावा नथी कोई आरो
जन्मांड छू जननी हु ग्रही बाल तारो
ना शु सुनो भगवती शिशु ना विलापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

माँ कर्म जन्मा कथनी करता विचारू
आ स्रुष्टिमा तुज विना नथी कोई मारू
कोने कहू कथन योग तनो बलापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

हूँ काम क्रोध मद मोह थकी छकेलो
आदम्बरे अति घनो मदथी बकेलो
दोषों थकी दूषित ना करी माफ़ पापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

ना शाश्त्रना श्रवण नु पयपान किधू
ना मंत्र के स्तुति कथा नथी काई किधू
श्रद्धा धरी नथी करा तव नाम जापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

रे रे भवानी बहु भूल थई छे मारी
आ ज़िन्दगी थई मने अतिशे अकारि
दोषों प्रजाली सगला तवा छाप छापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

खाली न कोई स्थल छे विण आप धारो
ब्रह्माण्डमा अणु अणु महि वास तारो
शक्तिन माप गणवा अगणीत मापों
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

पापे प्रपंच करवा बधी वाते पुरो
खोटो खरो भगवती पण हूँ तमारो
जद्यान्धकार दूर  करी सदबुध्ही आपो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

शीखे सुने रसिक चंदज एक चित्ते
तेना थकी विविधः ताप तळेक चिते
वाधे विशेष वली अंबा तना प्रतापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

श्री सदगुरु शरणमा रहीने भजु छू
रात्री दिने भगवती तुजने भजु छू
सदभक्त सेवक तना परिताप छापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो

अंतर विशे अधिक उर्मी तता भवानी
गाऊँ स्तुति तव बले नमिने मृगानी
संसारना सकळ रोग समूळ कापो
माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो
श्री  विश्वभंरी स्तुति समपुर्ण